ट्रांस फैट्स / हाइड्रोजन युक्त वानस्पतिक तेल सबसे ज्यादा खतरनाक हैं.
2.
विटामिन-डी यक्त वानस्पतिक तेल एवं अन्य खाद्य पोषक समझे गए हैं.
3.
भोजन में उच्च गुणवत्ता वाला वानस्पतिक तेल पित्त-पथरी के निर्माण को भी रोकता है।
4.
इस आहार में कच्ची घानी में पिराए गए वानस्पतिक तेल, शहद तथा खमीर मिलाए जा सकते हैं।
5.
विशेष: कृत्रिम रसायन से तैयार सौन्दर्य प्रशाधन, वानस्पतिक तेल से युक्त कोस्मेतिक्स स्तेमाल न करें.
6.
एकऔंस वानस्पतिक तेल, वरीयता से जैतून तेल, सुबह में सबसेपहले लेना और इसके तुरंत बाद चारऔंस छोटे चकोतरे या नीबू का रस पीना, यह प्रक्रिया है।
7.
वनस्पति घी का निर्माण उत्प्रेरक (कैटेलिस्ट) निकल की सहायता से शोधित, उदासीनीकृत (न्यूट्रेलाइज्ड) और प्रक्षालित वानस्पतिक तेल के हाइड्रोनीकरण द्वारा किया जाता है।
8.
रोगी को विशेष रक्षक खाद्य-पदार्थों जैसे दूध, उच्च कोटि के बिना गरम किए तिलहनों या गिरियों को दबाने से प्राप्त अपरिष्कृत वानस्पतिक तेल और शहद सहित तीन स्वास्थ्यकारक भोजन समूह में वृद्धि करना करना चाहिए।
9.
काष्ठ फल (नट्स, कठोर छिलके-दार, अखरोट, बादाम आदि), सीड्स, पत्तेदार हरी सब्जियां, वानस्पतिक तेल, सीरिअल ब्रान (व्हीट / ओट / राईस ब्रान आदि) इसके आम स्रोत हैं ।
10.
एक आदर्श फर्टिलिटी खुराक? एक आदर्श प्रजनन-क्षम खुराक में हरी पत्तेदार सब्जियां (ताज़ा, ताज़ा), रंगीन तरकारियाँ, फल, अंकुरित खाद्यान्न, नट्स तथा फलियाँ, वानस्पतिक तेल, दूध और दुग्ध उत्पाद, मोटे अनाज और लीन मीट (ड्रेस्ड चिकिन, टर्की, रूस्टर आदि चमड़ी हठाने के बाद) शामिल होने चाहिए.